महाराष्ट्र में अब मुसलमानों को भी चाहिए आरक्षण, 60 संगठनों न
मुस्लिम समाज पिछले कई वर्षों से पांच फीसदी आरक्षण की मांग कर रहा है, लेकिन यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में संगठनों ने एक साथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हो.
रेणुका धायबर
महाराष्ट्र में मराठा समाज के बाद अब मुस्लिम समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर आक्रमक हो गया है. राज्य के 60 मुस्लिम संगठनों ने एक फोरम का गठन किया है. मुस्लिम समाज पिछले कई वर्षों से पांच फीसदी आरक्षण की मांग कर रहा है, लेकिन यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में संगठनों ने एक साथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हो.
मुस्लिम समाज भी अब आरक्षण के लिए लामबंद होना शुरू हो गया है. सकल मराठा समिति की तर्ज पर अब मुस्लिम आरक्षण संयुक्त समिति की स्थापना की गई है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने बताया कि मुस्लिम समाज लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है. उन्होंने कहा कि अब विधिवत तरीके से आरक्षण की लड़ाई लड़ी जाएगी.
दरअसल, कांग्रेस और एनसीपी सरकार ने साल 2014 में चुनाव के ठीक पहले मराठा आरक्षण के साथ मुस्लिमों को भी शिक्षा और रोजगार में पांच फीसदी आरक्षण दिया था. बाद में यह मामला अदालत में पहुंच गया था. अदालत ने रोजगार में पांच फीसदी आरक्षण पर रोक लगा दी थी, लेकिन शिक्षा में आरक्षण पर कोई रोक नहीं लगी.
धनगर समाज को भी चाहिए आरक्षण: राज्य में धनगर समाज भी आरक्षण के लिए लामबंद हो रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने धनगर समाज को भी आरक्षण देने की तैयारी कर ली थी, लेकिन बाद में सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया था.
धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए पुख्ता आंकड़े सरकार के पास मौजूद नहीं थे. इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस से सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने कहा था. सरकार को यह रिपोर्ट मिल गई है. अब इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे का फैसला लेगी.
मराठ समाज भी आक्रमक: राज्य में पिछले 10 साल से मराठा समाज आरक्षण की मांग कर रहा है. गुजरात के पटेलों और हरियाणा के जाटों की तरह ही यह समाज भी आरक्षण की मांग भी कर रहा है. इसके साथ ही दलित उत्पीड़न का मामला भी जुड़ा हुआ है. मराठा समुदाय का मानना है कि उनके साथ सैकड़ों वर्षों से अन्याय हुआ है. ऐसे में समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण जरूरी है.
मराठा समाज की मांग है कि सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में 16 फीसदी आरक्षण दिया जाए, लेकिन सरकार के लिए ऐसा करना संभव नहीं है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मराठों को आरक्षण देने से जुड़ा बिल विधानसभा में पारित कर दिया था, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग आयोग से मराठा समाज की आर्थिक-सामाजिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है, ऐसे में अभी यह मामला अदालत में विचाराधीन है.
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