रामचंद्र छत्रपतिः वो पत्रकार, जिसने राम रहीम के खिलाफ आवाज़
हरियाणा का सिरसा शहर. तारीख – 24 अक्टूबर, 2002. शाम को निकलने वाला एक ‘स्थानीय’ अखबार चलाने वाला एक पत्रकार-संपादक कुछ देर पहले ही घर पहुंचा है. उसे बाहर से आवाज़ लगाई जाती है. वो बाहर आता है. जैसे ही वो दहलीज़ लांघता है, उसे गोलियों से भून दिया जाता है. पांच गोलियां उसके शरीर में धंस जाती हैं. इसी के साथ राम रहीम का ‘पूरा सच’ सामने लाने वाले पत्रकार संपादक रामचंद्र छत्रपति खुद खबर बन जाते हैं.
रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस कहलाने वाले इस मामले में 16 सितंबर, 2017 को सीबीआई की पंचकूला स्थित विशेष अदालत में आखिरी दौर की बहस शुरू होगी. हत्या की साज़िश का इल्ज़ाम है डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम पर. किसी ‘अनहोनी’ के डर से हरियाणा सरकार ने पंचकुला को किला बना दिया है. इस केस की पूरी कहानी रौंगटे खड़े कर देने वाली है
साध्वियों से रेप वो पहला मामला नहीं था, जब रामचंद्र छत्रपति ने डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी. डेरा में होने वाले भ्रष्टाचार पर वो खबरें छापते रहते थे. लेकिन एक ऐसा संस्थान, जहां राज्यों के सीएम तक हाज़री लगाते हों, एक स्थानीय अखबार को उतना गंभीर खतरा नहीं मानता था. फिर 13 मई, 2002 को एक डेरा की एक साध्वी ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक लेटर लिख कर डेरा में हो रहे साध्वियों के यौन शोषण और रेप के बारे में बताया. इस लेटर की एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट, हरियाणा पुलिस के अफसरों और मीडिया को भी भेजी गई. इस पर छिटपुट रिपोर्टिंग हुई, लेकिन ज़्यादा कुछ नहीं. लेकिन सिरसा में दबी ज़बान में चर्चाएं होने लगीं.
एक ड्राइवर की ज़िद ने डेरा को डुबो दिया
30 मई, 2002 को सिरसा के एक बाज़ार में पुलिस बेतरतीब ढंग से खड़ी गाड़ियां हटाने पहुंची. इनमें से एक गाड़ी डेरा सच्चा सौदा की थी. पुलिस जब उस गाड़ी को हटाने पहुंची, तो उसका ड्राइवर अड़ गया और डेरा की धौंस दिखाने लगा. बहस बढ़ी तो पुलिस अधिकारी ने एक पर्चा निकाल लिया. ये डेरा की साध्वी के खत की कॉपी थी. उस शाम इस खत की कॉपियां सिरसा के बाज़ार में बांटी गईं. इसी शाम रामचंद्र छत्रपति ने ‘पूरा सच’ में ये वाकया छाप दिया जिसमें साध्वी के खत और उसके मजमून का ज़िक्र था.
साध्वी को चुप करने के लिए उसके भाई को मार डाला
10 जुलाई, 2002 को खबर आई कि डेरा सच्चा सौदा में मैनेजर रहे रंजीत सिंह की हत्या हो गई है. रंजीत साध्वी के गुमनाम खत के आने से कुछ समय पहले ही अपनी बहन को लेकर डेरा छोड़कर अपने घर कुरुक्षेत्र चले गए थे. इसलिए डेरा को लगता था कि उस खत के पीछे रंजीत हैं. यहां से मामला गंभीर हो गया. डेरा अपनी साख बचाने के लिए कुछ भी करने को आमादा था. रंजीत के बाद उसका ध्यान छत्रपति की ओर हो गया, जो लगातार डेरा पर रिपोर्टिंग कर रहे थे. उन्हें धमकियां मिलने लगीं.
साध्वी को चुप करने के लिए उसके भाई को मार डाला
10 जुलाई, 2002 को खबर आई कि डेरा सच्चा सौदा में मैनेजर रहे रंजीत सिंह की हत्या हो गई है. रंजीत साध्वी के गुमनाम खत के आने से कुछ समय पहले ही अपनी बहन को लेकर डेरा छोड़कर अपने घर कुरुक्षेत्र चले गए थे. इसलिए डेरा को लगता था कि उस खत के पीछे रंजीत हैं. यहां से मामला गंभीर हो गया. डेरा अपनी साख बचाने के लिए कुछ भी करने को आमादा था. रंजीत के बाद उसका ध्यान छत्रपति की ओर हो गया, जो लगातार डेरा पर रिपोर्टिंग कर रहे थे. उन्हें धमकियां मिलने लगीं.
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